भूपिंदर सिंह हुड्डा 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे. इस दौरान हुड्डा ने एक तरफ़ तो ख़ुद को राज्य के क़द्दावर जाट नेता के तौर पर स्थापित किया. साथ ही साथ उन्होंने रोहतक और आस-पास के तीन जाट बहुल ज़िलों को अपने गढ़ के तौर पर भी विकसित किया.
रोहतक, झज्जर और सोनीपत के जाटों को हुड्डा के दस साल के शासन काल में ऐसा वीआईपी दर्जा हासिल था कि उन्हें सरकारी नौकरियों में मनमर्ज़ी की पोस्टिंग मिलती थी. हर विकास कार्य में उन्हें तरजीह मिलती थी. इससे राज्य के बाक़ी 19 ज़िलों के लोग पुराने रोहतक के जाटों से जलते भी थे.
इलाक़े के बुज़ुर्ग यानी ताऊ, भूपिंदर सिंह हुड्डा को इस बात का श्रेय देते हैं कि उन्होंने पुराने और अविकसित रोहतक को चंडीगढ़ की तर्ज़ पर एक आधुनिक शहर बनाने की दिशा में बहुत काम किया. हुड्डा की कोशिशों से रोहतक की सड़कें, रोडलाइट और बुनियादी ढांचे में बहुत सुधार आया.
भूपिंदर सिंह हुड्डा के दस साल के शासन काल के दौरान, पुराने रोहतक के मतदाताओं को सरकारी नौकरियों में ख़ूब मौक़े मिले. उन्हें उनकी मन की पोस्टिंग भी मिल जाती थी. और राज्य सरकार के मुख्यालय तक उनकी पहुंच रोहतक के लोगों के लिए ख़ुद भी एक नया तजुर्बा था. और उन्होंने इसका भरपूर उपयोग भी किया.